श्री शनि चालीसा | Shri Shani Chalisa

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Shri Shani Chalisa

Shri Shani Chalisa एक प्रसिद्ध धार्मिक पाठ है जो भगवान शनि देव की आराधना के लिए किया जाता है। शनि देव को न्याय के देवता और कर्मों के अनुसार फल देने वाले देवता के रूप में जाना जाता है। ज्योतिष में शनि ग्रह का विशेष महत्व है और इसे व्यक्ति के जीवन पर गहरे प्रभाव डालने वाला माना गया है। शनि चालीसा का पाठ करने से शनि दोष का निवारण होता है और व्यक्ति को शनि की कृपा प्राप्त होती है।

इस चालीसा में भगवान शनि की महिमा, उनके स्वरूप, और उनकी कृपा का वर्णन किया गया है। इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ने से न केवल ग्रहों की अशुभता दूर होती है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि, और सफलता प्राप्त होती है। शनिवार के दिन इसका पाठ विशेष लाभकारी माना गया है।

शनि चालीसा का पाठ करने से भय, बाधा, और कष्टों से मुक्ति मिलती है, और जीवन में सकारात्मकता आती है।

Shri Shani Chalisa

दोहा

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल ।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल ॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज ।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज ॥

चौपाई

जयति जयति शनिदेव दयाला ।
करत सदा भक्तन प्रतिपाला ॥1॥

चारि भुजा, तनु श्याम विराजै ।
माथे रतन मुकुट छबि छाजै ॥2॥

परम विशाल मनोहर भाला ।
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ॥3॥

कुण्डल श्रवण चमाचम चमके ।
हिय माल मुक्तन मणि दमके ॥4॥

कर में गदा त्रिशूल कुठारा ।
पल बिच करैं अरिहिं संहारा ॥5॥

पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन ।
यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन ॥6॥

सौरी, मन्द, शनी, दश नामा ।
भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ॥7॥

जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं ।
रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं ॥8॥

पर्वतहू तृण होई निहारत ।
तृणहू को पर्वत करि डारत ॥9॥

राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो ।
कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो ॥10॥

बनहूँ में मृग कपट दिखाई ।
मातु जानकी गई चुराई ॥11॥

लखनहिं शक्ति विकल करिडारा ।
मचिगा दल में हाहाकारा ॥12॥

रावण की गति-मति बौराई ।
रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ॥13॥

दियो कीट करि कंचन लंका ।
बजि बजरंग बीर की डंका ॥14॥

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा ।
चित्र मयूर निगलि गै हारा ॥15॥

हार नौलखा लाग्यो चोरी ।
हाथ पैर डरवायो तोरी ॥16॥

भारी दशा निकृष्ट दिखायो ।
तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो ॥17॥

विनय राग दीपक महं कीन्हयों ।
तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों ॥18॥

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी ।
आपहुं भरे डोम घर पानी ॥19॥

तैसे नल पर दशा सिरानी ।
भूंजी-मीन कूद गई पानी ॥20॥

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई ।
पारवती को सती कराई ॥21॥

तनिक विलोकत ही करि रीसा ।
नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा ॥22॥

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी ।
बची द्रौपदी होति उघारी ॥23॥

कौरव के भी गति मति मारयो ।
युद्ध महाभारत करि डारयो ॥24॥

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला ।
लेकर कूदि परयो पाताला ॥25॥

शेष देव-लखि विनती लाई ।
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई ॥26॥

वाहन प्रभु के सात सुजाना ।
जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना ॥27॥

जम्बुक सिंह आदि नख धारी ।
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी ॥28॥

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं ।
हय ते सुख सम्पति उपजावैं ॥29॥

गर्दभ हानि करै बहु काजा ।
सिंह सिद्धकर राज समाजा ॥30॥

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै ।
मृग दे कष्ट प्राण संहारै ॥31॥

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी ।
चोरी आदि होय डर भारी ॥32॥

तैसहि चारि चरण यह नामा ।
स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा ॥33॥

लौह चरण पर जब प्रभु आवैं ।
धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं ॥34॥

समता ताम्र रजत शुभकारी ।
स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी ॥35॥

जो यह शनि चरित्र नित गावै ।
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै ॥36॥

अद्भुत नाथ दिखावैं लीला ।
करैं शत्रु के नशि बलि ढीला ॥37॥

जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई ।
विधिवत शनि ग्रह शांति कराई ॥38॥

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत ।
दीप दान दै बहु सुख पावत ॥39॥

कहत राम सुन्दर प्रभु दासा ।
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ॥40॥

दोहा

पाठ शनिश्चर देव को, की हों ‘भक्त’ तैयार ।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार ॥

शनि चालीसा पढ़ने के लाभ

1. शनि दोष का निवारण
यदि कुंडली में शनि ग्रह अशुभ स्थिति में है, तो शनि चालीसा का नियमित पाठ करने से शनि दोष का प्रभाव कम होता है।

2. राहु-केतु और साढ़ेसाती का प्रभाव कम होता है
शनि चालीसा पढ़ने से साढ़ेसाती और ढैया के समय होने वाले कष्टों में राहत मिलती है।

3. जीवन में स्थिरता और समृद्धि
शनि चालीसा का पाठ जीवन में शांति, स्थिरता और आर्थिक समृद्धि लाता है।

4. कष्टों और भय से मुक्ति
भगवान शनि की कृपा से रोग, शोक, और अनहोनी घटनाओं से रक्षा होती है।

5. कर्मों का शुद्धिकरण
शनि देव कर्मों के अनुसार फल देते हैं। उनकी आराधना से बुरे कर्मों का प्रभाव कम होता है।

6. धैर्य और आत्मविश्वास
नियमित पाठ से मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

शनि चालीसा पाठ की विधि

1. स्नान और शुद्धता
शनिवार के दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थान को साफ करें।

2. दीप प्रज्वलन
शनि देव की मूर्ति या चित्र के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

3. नैवेद्य चढ़ाएं
शनि देव को काले तिल, उड़द की दाल, सरसों का तेल, और काले वस्त्र अर्पित करें। गुड़ और चने का प्रसाद भी चढ़ा सकते हैं।

4. शनि मंत्र जाप
चालीसा पढ़ने से पहले “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का 11 बार जाप करें।

5. शनि चालीसा का पाठ
शांत मन से बैठकर श्रद्धा और भक्ति के साथ शनि चालीसा का पाठ करें।

6. आरती
पाठ के बाद शनि देव की आरती करें और प्रसाद को सभी में बांटें।

7. दान का महत्व
शनिवार को काले तिल, काले कपड़े, और सरसों का तेल गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।

विशेष सावधानियां

*शनि देव की पूजा में अपशब्द या नकारात्मक विचार न लाएं।
*पूजा करते समय पूरी श्रद्धा और एकाग्रता बनाए रखें।
*शनि चालीसा को केवल लाभ के लिए नहीं, बल्कि शनि देव की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए पढ़ें।

इस विधि से शनि चालीसा का पाठ करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और शनि देव का आशीर्वाद मिलता है।

निष्कर्ष

शनि चालीसा भगवान शनि की महिमा का वर्णन करते हुए, उनके भक्तों के जीवन से दुःख, संकट और बाधाओं को दूर करने का एक सशक्त माध्यम है। श्रद्धा और भक्ति के साथ इसका पाठ करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन में सकारात्मकता, समृद्धि और शांति लाने में सहायक होती है।

सप्ताह में शनिवार का दिन शनि देव की पूजा के लिए सर्वोत्तम माना गया है। शुद्ध मन, कर्म और सच्चे भाव से की गई आराधना का फल अवश्य प्राप्त होता है। शनि चालीसा के नियमित पाठ से व्यक्ति अपने जीवन के कठिन समय में धैर्य और साहस बनाए रखता है।

इस प्रकार, शनि चालीसा न केवल आध्यात्मिक लाभ प्रदान करती है, बल्कि हमें यह भी सिखाती है कि अच्छे कर्मों से शनि देव का आशीर्वाद पाया जा सकता है।

RN Tripathy

लेखक परिचय – [रुद्रनारायण त्रिपाठी] मैं एक संस्कृत प्रेमी और भक्तिपूर्ण लेखन में रुचि रखने वाला ब्लॉग लेखक हूँ। AdyaSanskrit.com के माध्यम से मैं संस्कृत भाषा, न्याय दर्शन, भक्ति, पुराण, वेद, उपनिषद और भारतीय परंपराओं से जुड़े विषयों पर लेख साझा करता हूँ, ताकि लोग हमारे प्राचीन ज्ञान और संस्कृति से प्रेरणा ले सकें।

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