श्री शिव मानस पूजा स्तोत्रम् | Shri Shiv Manas Puja Stotram

Shri Shiv Manas Puja Stotram शिव मानस पूजा स्तोत्र अद्वैत वेदांत और भक्ति परंपरा का एक अनुपम रत्न है। यह स्तोत्र भगवान शिव की मानसिक पूजा का वर्णन करता है, जिसमें साधक अपनी भक्ति और कल्पना के माध्यम से भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करता है। इस स्तोत्र का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इसमें बाहरी साधनों की आवश्यकता नहीं होती; केवल हृदय की पवित्रता और आत्मा की शुद्धता ही इसकी मूलभूत शर्तें हैं।

यह स्तोत्र श्री आदिशंकराचार्य द्वारा रचित है, जो वेदांत दर्शन के महान प्रणेता माने जाते हैं। उन्होंने इसे इस प्रकार लिखा कि साधक केवल अपने मन, ध्यान और श्रद्धा का प्रयोग करके भगवान शिव की पूजा कर सके। इसमें भगवान शिव के चरणों में पुष्प, जल, वस्त्र, आभूषण और भोजन जैसी वस्तुओं की मानसिक रूप से अर्पणा का वर्णन है।

शिव मानस पूजा स्तोत्र हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति बाहरी तामझाम से नहीं, बल्कि हृदय की गहराई से प्रकट होती है। यह हमें हमारे भीतर छिपी दिव्यता को पहचानने और भगवान शिव से एकत्व का अनुभव करने का मार्ग प्रदान करता है।

यह स्तोत्र न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि मन की एकाग्रता को भी बढ़ाता है। इसके पाठ से साधक के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और भगवान शिव की कृपा से जीवन में सुख, शांति और सफलता के द्वार खुलते हैं।

Shri Shiv Manas Puja Stotram

श्री शिव मानस पूजा स्तोत्रम् (Shri Shiv Manas Puja Stotram)

ॐ रत्नै: कल्पितमासनं हिमजलै: स्नानं च दिव्याम्बरं
नानारत्नविभूषितं मृगमदामोदांकितं चन्दनम् ।
जातीचम्पकबिल्वपत्ररचितं पुष्पं च धूपं तथा
दीपं देव दयानिधे पशुपते ह्रत्कल्पितं गृहाताम् ।।1।।

सौवर्णे नवरत्नखण्डरचिते पात्रे घृतं पायसं
भक्ष्यं पञ्चविधं पयोदधियुतं रम्भाफलं पानकम् ।
शाकानामयुतं जलं रूचिकरं कर्पूरखण्डोज्ज्वलं
ताम्बूलं मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु ।।2।।

छत्रं चामरयोर्युगं व्यजनकं चादर्शकं निर्मलं
वीणाभेरिमृदंगकाहल कला गीतं च नृत्यं तथा ।
साष्टांग प्रणति: स्तुतिर्बहुविधा ह्रोतत्समस्तं मया
संकल्पेन समर्पितं तव विभो पूजां गृहाण प्रभो ।।3।।

आत्मा त्वं गिरिजा मति: सहचरा: प्राणा: शरीरं गृहं
पूजा ते विषयोपभोगरचना निद्रा समाधिस्थिति: ।
संचार: पदयो: प्रदक्षिणविधि: स्तोत्राणि सर्वा गिरो
यघत्कर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम् ।।4।।

करचरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम् ।
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व
जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो ।।5।।

इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचितं शिवमानसपूजास्तोत्रं समाप्तम्।

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श्री शिव मानस पूजा स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित (Shri Shiv Manas Puja Stotram)

श्लोक 1
ॐ रत्नैः कल्पितमासनं हिमजलैः स्नानं च दिव्याम्बरं
नानारत्नविभूषितं मृगमदामोदांकितं चन्दनम्।
जातीचम्पकबिल्वपत्ररचितं पुष्पं च धूपं तथा
दीपं देव दयानिधे पशुपते ह्रत्कल्पितं गृहाताम्।।

अर्थ:
हे दया के सागर, पशुपति भगवान शिव! मेरे हृदय में मैंने आपके लिए रत्नों से बना हुआ सिंहासन तैयार किया है, हिमालय के जल से स्नान कराया है और दिव्य वस्त्र पहनाए हैं। मैंने आपको चंदन, जो कस्तूरी की सुगंध से युक्त है, तथा जूही, चंपा और बेलपत्र के पुष्प अर्पित किए हैं। साथ ही धूप और दीपक भी समर्पित किए हैं। कृपया इसे स्वीकार करें।

श्लोक 2
सौवर्णे नवरत्नखण्डरचिते पात्रे घृतं पायसं
भक्ष्यं पञ्चविधं पयोदधियुतं रम्भाफलं पानकम्।
शाकानामयुतं जलं रूचिकरं कर्पूरखण्डोज्ज्वलं
ताम्बूलं मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु।।

अर्थ:
हे प्रभो! मैंने स्वर्ण के नवरत्नों से जड़े पात्र में आपके लिए घी, खीर, पाँच प्रकार के व्यंजन, दूध-दही से बने पदार्थ, केले का फल, और विभिन्न पेय पदार्थों को अर्पित किया है। साथ ही स्वादिष्ट शाक, सुगंधित जल, कपूर से युक्त मीठे पदार्थ और ताम्बूल भी मन से आपकी सेवा में प्रस्तुत किए हैं। कृपया मेरी इस भक्तिपूर्ण पूजा को स्वीकार करें।

श्लोक 3
छत्रं चामरयोर्युगं व्यजनकं चादर्शकं निर्मलं
वीणाभेरिमृदंगकाहल कला गीतं च नृत्यं तथा।
साष्टांग प्रणति: स्तुतिर्बहुविधा ह्रोतत्समस्तं मया
संकल्पेन समर्पितं तव विभो पूजां गृहाण प्रभो।।

अर्थ:
हे विभो! मैंने आपके लिए छत्र, चँवर, पंखा, स्वच्छ दर्पण, वीणा, भेरी, मृदंग, काहल और अन्य वाद्ययंत्रों का आयोजन किया है। मैंने आपके लिए गीत, नृत्य, साष्टांग प्रणाम और विभिन्न प्रकार की स्तुतियों को अपनी भावना से समर्पित किया है। कृपया मेरी इस मानसिक पूजा को स्वीकार करें।

श्लोक 4
आत्मा त्वं गिरिजा मति: सहचरा: प्राणा: शरीरं गृहं
पूजा ते विषयोपभोगरचना निद्रा समाधिस्थिति:।
संचार: पदयो: प्रदक्षिणविधि: स्तोत्राणि सर्वा गिरो
यघत्कर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम्।।

अर्थ:
हे शंभो! मेरा आत्मा ही आपका स्वरूप है, मेरी बुद्धि गिरिजा (पार्वती) है, मेरे प्राण आपके सेवक हैं, और यह शरीर आपका मंदिर है। मेरी सारी इंद्रियाँ आपकी पूजा सामग्री हैं, मेरी निद्रा आपकी समाधि है, और मेरे चलने-फिरने को आपकी प्रदक्षिणा मानें। मेरे द्वारा किए गए सभी कर्म आपके ही आराधन हैं।

श्लोक 5
करचरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्।
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व
जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो।।

अर्थ:
हे करुणा के सागर, श्रीमहादेव शंभो! मेरे हाथों और पैरों से, वाणी और शरीर से, कानों और आँखों से, या मन से जो भी पाप हुआ है, चाहे वह जाने-अनजाने में हुआ हो, उसे क्षमा करें। हे महादेव! आपकी जय हो।

इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचितं शिवमानसपूजास्तोत्रं समाप्तम्।

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शिव मानस पूजा के लाभ (Shri Shiv Manas Puja Stotram)

शिव मानस पूजा, भगवान शिव की मानसिक आराधना का एक अनूठा रूप है। इसमें साधक बाहरी सामग्री के बिना, केवल अपने मन, ध्यान और श्रद्धा से भगवान शिव को प्रसन्न करता है। यह न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है, बल्कि जीवन को सकारात्मकता और सफलता से भर देती है। इसके कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:

1. आध्यात्मिक शुद्धता और शांति

शिव मानस पूजा से मन और आत्मा की शुद्धि होती है। यह साधक को गहन ध्यान और आत्मा के साथ जुड़ने का अवसर देती है, जिससे उसे मानसिक शांति प्राप्त होती है।

2. भक्ति का सर्वोच्च रूप

इस पूजा में साधक भगवान शिव के प्रति अपनी पूरी भक्ति और प्रेम व्यक्त करता है। इसमें बाहरी साधनों की आवश्यकता नहीं होती, केवल श्रद्धा और समर्पण ही पर्याप्त हैं।

3. मानसिक शक्ति और एकाग्रता

इस स्तोत्र के पाठ और मानसिक पूजा से मन की एकाग्रता बढ़ती है। यह ध्यान और आत्मनियंत्रण का अद्भुत माध्यम है, जिससे व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

4. कार्मिक ऋण से मुक्ति

शिव मानस पूजा में अपने कर्मों और त्रुटियों के लिए क्षमा याचना की जाती है। यह व्यक्ति को पिछले पापों से मुक्त कर, नए सिरे से जीवन जीने की प्रेरणा देती है।

5. ईश्वर के साथ जुड़ाव

भगवान शिव को अपनी आत्मा, बुद्धि और शरीर के माध्यम से पूजने का यह तरीका व्यक्ति को ईश्वर के साथ गहरे संबंध की अनुभूति कराता है। यह साधक को ईश्वर की अनंत कृपा और आशीर्वाद से भर देता है।

6. जीवन में संतुलन

इस पूजा में जीवन की हर क्रिया को भगवान शिव के आराधन के रूप में देखा जाता है। यह दृष्टिकोण व्यक्ति के जीवन में संतुलन और सकारात्मकता बनाए रखता है।

7. मुक्ति का मार्ग

यह पूजा साधक को मोक्ष (मुक्ति) की ओर ले जाती है। भगवान शिव, जो मोक्षदाता हैं, उनकी कृपा से साधक जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति पा सकता है।

8. आसान और सुलभ

शिव मानस पूजा उन लोगों के लिए बहुत उपयोगी है, जिनके पास समय, धन या सामग्री की कमी है। इसे किसी भी स्थान और समय पर किया जा सकता है, क्योंकि यह पूरी तरह से मानसिक पूजा है।

9. पारिवारिक सुख और समृद्धि

इस पूजा से भगवान शिव की कृपा से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। जीवन के कष्ट और बाधाएँ धीरे-धीरे समाप्त होती हैं।

शिव मानस पूजा पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

शिव मानस पूजा क्या है?

शिव मानस पूजा भगवान शिव की मानसिक पूजा है, जिसमें भौतिक सामग्री का उपयोग किए बिना, मन और श्रद्धा के माध्यम से भगवान शिव की आराधना की जाती है। इसे आदिशंकराचार्य ने रचा है और इसमें पूरी पूजा केवल मानसिक कल्पना द्वारा की जाती है।

शिव मानस पूजा की क्या विशेषता है?

इस पूजा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें बाहरी सामग्री या साधनों की आवश्यकता नहीं होती। यह पूरी तरह से साधक के मन, भावना और श्रद्धा पर आधारित होती है। इसे कहीं भी, किसी भी समय किया जा सकता है।

शिव मानस पूजा के लाभ क्या हैं?

मानसिक शांति और एकाग्रता प्राप्त होती है। जीवन में सकारात्मकता और संतुलन लाती है। भक्ति और ईश्वर से गहरा संबंध स्थापित होता है। पिछले पापों के प्रायश्चित में मदद मिलती है। भगवान शिव की कृपा से जीवन के कष्ट समाप्त होते हैं।

क्या शिव मानस पूजा भौतिक पूजा का विकल्प है?

हाँ, शिव मानस पूजा उन लोगों के लिए एक आदर्श विकल्प है, जो भौतिक पूजा सामग्री का उपयोग नहीं कर सकते। यह सच्ची भक्ति और ध्यान का सर्वोत्तम रूप है।

शिव मानस पूजा कौन कर सकता है?

इस पूजा को कोई भी व्यक्ति कर सकता है, चाहे वह किसी भी आयु, लिंग या भौतिक स्थिति का हो। यह पूरी तरह से मानसिक साधना है, इसलिए इसे करने के लिए केवल श्रद्धा और समर्पण की आवश्यकता है।

क्या शिव मानस पूजा करने के लिए कोई समय निर्धारित है?

नहीं, इसे किसी भी समय किया जा सकता है। लेकिन सुबह के समय या ध्यान के दौरान इसे करना अधिक प्रभावशाली माना जाता है।

शिव मानस पूजा के लिए कौन-सी सामग्री की आवश्यकता होती है?

इस पूजा के लिए किसी भी भौतिक सामग्री की आवश्यकता नहीं होती। इसमें सभी सामग्री जैसे स्नान का जल, वस्त्र, पुष्प, दीप, भोग आदि मन में ही कल्पना की जाती है।

क्या शिव मानस पूजा से पापों का नाश होता है?

हाँ, इस पूजा में साधक अपने द्वारा किए गए जाने-अनजाने पापों के लिए भगवान शिव से क्षमा माँगता है। भगवान शिव, जिन्हें करुणा का सागर माना जाता है, भक्त को अपने पापों से मुक्ति प्रदान करते हैं।

शिव मानस पूजा का मुख्य उद्देश्य क्या है?

इस पूजा का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना, आत्मा को शुद्ध करना, और मानसिक शांति व आध्यात्मिक प्रगति की ओर बढ़ना है।

निष्कर्ष

शिव मानस पूजा, भगवान शिव की आराधना का एक अत्यंत सरल, सुलभ और गहन रूप है। इसमें बाहरी पूजा सामग्री की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि मन, श्रद्धा और समर्पण के माध्यम से भगवान शिव की आराधना की जाती है। यह पूजा भक्ति का सर्वोच्च रूप है, जो साधक को आध्यात्मिक शांति, मानसिक संतुलन और मोक्ष का मार्ग प्रदान करती है।

शिव मानस पूजा हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति बाहरी तामझाम पर नहीं, बल्कि आंतरिक पवित्रता और सच्चे समर्पण पर आधारित होती है। यह हर व्यक्ति को इस बात का एहसास कराती है कि जीवन के हर कर्म को भगवान की सेवा मानकर किया जा सकता है।

इस प्रकार, शिव मानस पूजा एक साधक को भगवान शिव से जोड़ने का एक अद्भुत साधन है, जो उसे भक्ति, ध्यान और आत्म-जागृति के मार्ग पर ले जाता है। यह पूजा हमें यह भी संदेश देती है कि ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए मन की पवित्रता और भावना की सच्चाई ही सबसे महत्वपूर्ण है।

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