👉 भगवान जगन्नाथ की भव्य यात्रा का आध्यात्मिक रहस्य 📅 तिथि:  27 जून 2025 (आषाढ़ शुक्ल द्वितीया) 🔔 Swipe करें और जानें क्यों है यह परंपरा अद्भुत!

रथ यात्रा की शुरुआत कब होती है? हर साल आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को होती है ये यात्रा

Fभगवान खुद क्यों निकलते हैं रथ पर? भगवान मंदिर से बाहर आते हैं ताकि हर भक्त को उनके दर्शन मिल सकें यह दर्शाता है: ईश्वर सबके लिए सुलभ हैं

तीन रथ – तीन दिव्य रूप 🛕 नन्दिघोष – श्री जगन्नाथ 🛕 तालध्वज – बलभद्र 🛕 दर्पदलन – सुभद्रा

रथ निर्माण – एक पवित्र प्रक्रिया हर साल नए रथ बनाए जाते हैं खास नीम की लकड़ी (दारु) से रथ निर्माण भी सेवा मानी जाती है

छेरा पहानरा पूजा – राजा भी सेवक पुरी के गजपति राजा खुद झाड़ू लगाते हैं यह दिखाता है कि भगवान के सामने सब समान यह विनम्रता की अद्भुत मिसाल है

गुंडिचा मंदिर की यात्रा इसे भगवान की जन्म स्थान कहा जाता है भगवान यहाँ 9 दिन विश्राम करते हैं फिर होती है बहुदा यात्रा – वापसी यात्रा

संस्कृत में रथ यात्रा की महिमा "रथस्थं च जगन्नाथं पश्यन्ति भक्तिसंयुताः। प्राप्नुवन्ति हरिं भक्त्या सगणं वैकुण्ठमेव च॥" रथ पर भगवान को देखना वैकुण्ठ प्राप्ति समान हर दर्शन पुण्यदायक माना जाता है

पूरी दुनिया मनाती है ये पर्व अमेरिका, इंग्लैंड, रूस तक निकाली जाती है रथ यात्रा ISKCON के माध्यम से दुनिया भर में प्रसिद्ध

जय जगन्नाथ! 👉 यह केवल एक यात्रा नहीं, ईश्वर और भक्त के मिलन का पर्व है 💛 क्या आपने कभी पुरी की रथ यात्रा देखी है? 💬 कमेंट कर बताएं और शेयर करें यह कहानी!